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गीत(भय का साया)

गीत(भय का साया)

जग से अत्याचार मिटाने,
रघुवर कब तक आओगे?
अघ से बोझिल कब धरती को,
पाप-मुक्त करवाओगे।।

अखिल विश्व के नभ पे बादल,
भय के छाए लगते हैं।
छिड़ा युद्ध जिन देशों में वे,
शांति गवाँए लगते हैं।
इस विभीषिका से जग-स्वामी,
कब आ इन्हें बचाओगे??
       पाप-मुक्त करवाओगे।।

मानव का आपस में अब तो,
बढ़ा शत्रु-संबंध घना।
हुआ लोप अब प्रेम-रीति का,
लगे घृणा-संबंध बना।
मानवता की सोच सो गई,
कब आ इसे जगाओगे??
       पाप-मुक्त करवाओगे।।

चीख-चीख कर हवा पुकारे,
हे प्रभु,जल्दी आ जाओ।
प्रकृति तुम्हारी रुदन कर रही,
जग को आ समझा जाओ।
भव पीड़ा से तड़प रहा है,
कब आ इसे बचाओगे??
      पाप-मुक्त करवाओगे।।

हे जग-स्वामी-करुणा-सागर,
हे कृपालु, जग तेरा है।
करो प्रकाश ज्ञान का रघुवर,
छाया अभी अँधेरा है।
भटक रहा है भ्रमित मनुज अब,
कब आ तिमिर भगाओगे??
       पाप-मुक्त करवाओगे।।
                  ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                      9919446372

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2 Comments

बेहतरीन और भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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